Thursday, February 4, 2010

Jab Yaad Tumhari Aati Hai

याद तुम्हारी आती है तो घन बन कर छा जाती हो
घनन घनन करके दिल की बेचैनी को बढाती हो
बिजली की तलवार से एक दर्द सी दे जाती हो
रिम-झीम रिम-झीम बारिश बूंदों से फिर ठंढक सी पहुचाती हो
वीराने से मरुस्थल में फिर हरियाली सी छाती जाती हो
खुसियाली का रोमांच इस सुने जीवन में फैलाती हो
याद तुम्हारी आती है तो घन बन कर छा जाती हो

0 comments: